Episode 5
एनाबेल ने पूरी रात बीच पर ही बिताई, वह देर रात तक थॉमस की बाते सोचती रही और कब उसे नींद आ गई उसे पता ही
नहीं चला। जब उसकी आँख खुली तो सुबह हो चुकी थी पर एक बात उसे अजीब लगी, किसी ने उसके ऊपर कंबल रखा हुआ
था, जब के रात को वह कंबल ले कर नहीं आई थी। जब उसकी आँख
खुली तब कोई उसका नाम पुकार रहा था। वह कोई और नहीं उसके पिता ही थे जो उसे यहाँ
वहाँ ढूंढ रहे थे।
उसके पिता बीच पे उसे ढूंढ रहे थे और वे डरते हुए उसके पास पहुंचे, “क्या आपने मेरी बेटी एनाबेल को कहीं
देखा हैं? उसके बाल सुनहरे है और नीली आंखे हैं, साधारण ऊंचाई और पतली सी और कमजोर हैं, जो तेज हवा
के झोके में कहीं भी खो सकती हैं।“ पहले तो उनके भी समझ में नहीं आया पर जब
उन्होने ठीक से देखा तब पता चला के कंबल ओढ़ के खड़ी लड़की कोई और नहीं एनाबेल ही हैं।
उसके पिता ने तुरंत पूछा “तुम यहाँ क्या कर रही हो?”
एनाबेल अपना मुंह चढाते हुए बोली “मैं पतली और कमजोर जो हूँ तो तेज हवा के
कारण कमरे से उड कर यहाँ आ गई, मॉर्निंग वॉक के लिए।“
उन्होने अपनी नजरे चुराते हुए कहा “वैसे देखा जाय तो तुम पतली तो हो और यह तो
अच्छी बात है।“
“और कमजोर?” एनाबेल गुस्सा करते बोली।
“तुम्हारी बॉडी के हिसाब तो तुम कमजोर ही लगती हो, पर एक बात समझ में नहीं आई, मैंने तो तुम्हें कभी मॉर्निंग वॉक पे जाते हुए नहीं देखा।“
अब एनाबेल अपनी नजरे चुराते हुए बोली “आज से पहले हम समंदर किनारे भी तो नहीं
रहते थे। पर आप इतने डरे हुए क्यूँ लग रहे हैं?“
उसके पिता ने चिंता करते हुए कहा “तुमको कमरे में नहीं देखा तो मैं डर गया
था।“
एनाबेल दुबारा सुनाते हुए बोली “कहीं मैं तेज हवा में बह के समंदर में दूर तो
नहीं चली गई ऐसा!”
“नहीं, मुझे लगा
तुम्हें कहीं लुटेरें उठा के ना ले गए हो। मेयर ने बताया के यहाँ समुद्री लुटेरों
का हमला होता रहता हैं।“ उसके पिता ने चिंता करते हुए कहा।
“चलो चलते हैं। डरने की कोई बात नहीं हैं, और वैसे भी मैं इतनी कमजोर नहीं हूँ के लुटेरें मुझे अगवा कर सके।“
दोनों वापस घर जा रहे थे। एनाबेल को लगा के पक्का यह कंबल थॉमस उसके उपर रख के गया
होगा क्योंकि सिर्फ उसे पता था के वह बाहर है।
एनाबेल जल्दी से तैयार हो कर नाश्ता साथ ले कर समंदर किनारे आ गई, उसके पास उसके रंगो का बैग और बाकी
सारी चिजे भी थी। सब से पहले तो उसने समंदर का चित्र बनाया। बनाने में उसे वक्त
लगा और जब वह बना रही थी समंदर किनारे रोज काम करने वाले लोग हैरान थे कि यह नई
लड़की कौन हैं? पहला चित्र उतना अच्छा नहीं बना, पर वह लगी रही एक के बाद एक वह पूरा दिन चित्र बनाती रही। थॉमस उसे दूर
से ही देख के खुश हो रहा था क्यों के कल रात वह उदास और खोई खोई लग रही थी पर अब
ज़िंदादिल और उत्साह से भरी हुई लग रही थी। उसके हाथो और कपड़ो पे रंग लगे हुए थे और
चेहरे पे भी, पर उसे उसकी कोई परवाह नहीं थी वह मजे से अपनी
पेंटिंग बनाने में खोई हुई थी। उसे कोई फर्क नहीं पड रहा था के लोग उसके पास आ रहे
है कुछ बोल रहे है वह बस अपनी कलाकारी में खोई हुई थी।
जैसे जैसे शाम हो रही थी उसने उसका भी चित्र बना दिया। पहले लोग उस से बात
करने में हिचकिचा रहे थे पर जब लोगों ने देखा के मेयर भी उसके साथ बैठ कर देख रहे
है कि वह क्या बना रही है तो लोग भी आ कर देखने लगे। लोगों की भी दिलचस्पी बढ़ने
लगी और यह तो उसकी कुदरती शक्ति थी लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करने की। वह कुछ ना
भी करे तो भी लोग उसकी तरफ खिचे चले आते है और अभी तो वह खुद पेटिंग बना रही थी।
मेयर ने सब को कहा की वह उनकी दूर की रिश्तेदार है जो कुछ दिन वहाँ रहने आई हैं।
पहला दिन उसका अच्छे से बिता। वह पूरा दिन इंतजार करती रही के कब थॉमस उसके पास
आएगा और वह उस से शुक्रिया कहेगी पर थॉमस काम में इतना उलझा हुआ था के उसे वक्त ही
नहीं मिला। थॉमस के दिमाग में अभी ज्यादा से ज्यादा काम कर के पैसे जमा करने की
धुन लगी हुई थी पर ऐसा नहीं था के उसका ध्यान एनाबेल पे नहीं गया हो। उसने भी कई
बार सोचा के एनाबेल के पास जा के बात करे क्योंके कई लोग उस से बात कर रहे थे, उसके काम की तारीफ कर रहे थे। पर वहाँ
लोग थे इसलिए थॉमस नहीं गया, वैसे भी वह बहुत शर्मिला है।
पूरे दिन दोनों की नजरे एक दूसरे को देखती रही सामने होते हुए भी ढूंढती रही पर
दोनों में से कोई बात करने का मौका नहीं ढूंढ पाए।
एनाबेल ने पूरा दिन चित्र बनाए थे इसलिए वह रात को खाना खा के सो गई। दूसरे
दिन भी वह चित्र बना रही थी। कल उसे लोगों ने घेर रखा था और आज बच्चो ने। थॉमस जब
भी उसके पास बात करने जाने के लिए कदम बढ़ाता कोई न कोई बच्चा वही आ जाता और थॉमस
अपना रास्ता बदल देता। दूसरे दिन उसकी वहाँ के बच्चो से दोस्ती हो गई वो भी उसके
साथ बैठ के चित्र बना रहे थे और वो बच्चो को सीखा भी रही थी। एनाबेल ने वहाँ के कई
बच्चो को समंदर किनारे पत्थरो के पास बैठने को कहा ताकि वह उनकी तस्वीर बना सके।
बिचारे मासूम बच्चे कई देर तक एक ही जगह बैठे रहे, उनके लिए यह मुश्किल था क्योंकि उन्हे ऐसे बैठे रहने की आदत नहीं
होती। पर उनकी तस्वीर बन रही है यह देख के वे सभी बैठे रहे और आखिर कार उनकी
तस्वीर बन ही गई। सभी बहुत हैरान थे और खुश भी, क्योंकि
उन्होने कभी किसी को ऐसे तस्वीर बनाते हुए नहीं देखा था वो भी उनकी। सारे तस्वीर
देख खुशी के मारे नाचने लगे।
जब बच्चो ने अपने घर पे कहा के एक दीदी आई है जो बहुत सुंदर चित्र बनाती हैं, तो पूरे गाँव में यह बात फ़ेल गई।
दूसरे दिन घर पे सभी एनाबेल की ही बात कर रहे थे। किसी ने उसकी तस्वीर तो नहीं
देखि थी पर जैसा कि बच्चो ने कहा वो भी यही समझ रहे थे कि वह बहुत बढ़िया तस्वीर
बनाती हैं।
तीसरे दिन सवेरे सभी मेयर के घर पहुँच गए सभी के पास कोई न कोई बहाना था के वो
वहाँ क्यों आए हैं। कोई कुछ चिजे देने, कुछ लेने, या बस युही बाते करने आया था जब के सब को
एनाबेल की पेंटिंग देखनी थी जो उसने बच्चो की बनाई थी। एनाबेल तो सवेरे सूरज
निकलने से पहले ही पहाड़ी की ओर निकल गई थी इसलिए किसी को वह नहीं मिली। पर जब मेयर
को अंदाजा हो गया के वो लोग क्यूँ आए है तो उन्होने सब को वह पेंटिंग आखिर दिखा ही
दी। सब देख के हैरान रह गए क्योंकि बहुत बढ़िया पेंटिंग थी। ऐसा ही लग रहा था जैसे
किसी ने कैमरा से तस्वीर खिच के फ्रेम बना दी हो। किसी ने ऐसा टेलेंट नहीं देखा था
सब बहुत ज्यादा हैरान थे। उनके बच्चों की तस्वीर थी तो सभी के मुंह से तारीफ के
फूल बरस रहे थे। सब लोग एनाबेल से मिलना चाहते थे पर वह तो बिना बताए कहीं चली गई
थी इसलिए सब वापस लौट आए।
दोपहर को जब थॉमस काम कर रहा था तब सब की जुबान पर एक ही नाम था “एनाबेल”।
एनाबेल की तारीफ के लोग पुल बांधे जा रहे थे, सब एनाबेल की पेंटिंग की तारीफ कर रहे थे। मेयर के घर पे लोगों की लाइन
लगी हुई थी, एक के बाद एक लोग आते ही जा रहे थे। मेयर उनके
घर आने वाले सभी को बच्चो की तस्वीरे दिखा रहे थे उन्होने एनाबेल की बाकी की पेंटिंग
भी दिखाई उसके बाद तो जैसे वहाँ गदर मच गया। सारे लोग उसके दीवाने हो गए। थॉमस को
लगा के उसे भी देखने जाना चाहिए पर वह जाए कैसे उसके पास तो जाने का भी कोई बहाना
नहीं था। उसने सोचा के रात को वह बात कर लेगा जब वह टहले आएगी, पर वो कल नहीं आई थी तो उसे पूरा यकीन नहीं था के वह आज भी आएगी। उसके
शरमीले स्वभाव के कारण उसने कुछ किया नहीं और रात को अपना नसीब आजमाने के लिए वह
मेयर के घर नहीं गया।
उस रात भी वह नहीं आई। क्योंकि वह पूरा दिन पेंटिंग बनाने के कारण थक जाती है
तो रात को खाना खा के उसे तुरंत नींद आ जाती हैं। चौथे दिन वह दोपहर को मेयर से
बात करने गया पर वो घर पे नहीं थे, उसका बहुत मन था के एनाबेल के बारे में पुछे पर वह ऐसे ही लौट आया।
रास्ते में उसे मेयर मिले उसने बात की पर वह शर्म के मारे एनाबेल के बारे में पूछ
नहीं पाया।
तभी वहाँ जेमी आई “मिस्टर मेयर क्या एनाबेल मेरी तस्वीर बना सकती हैं?”
मेयर ने गर्व से कहा “वो तुम्हारी क्या किसी की भी तस्वीर बना सकती हैं।“
जेमी ने विनती करते हुए कहा “तो आप उस से बात कीजिए ना के वह मेरी और मेरे पति
की एक तस्वीर बना दे।“
“मैं उसे बता तो देता पर वह एक बहुत बड़ी कलाकार है और मुफ्त में काम नहीं
करती। शहर में तो लोगों की लाइने लगती है उसके हाथ से तस्वीर बनवाने के लिए। शहर
से तंग आ के ही तो वह यहाँ आराम करने आई और ऐसे में भी वह पेंटिंग बनाती रही तो
उसे आराम कब मिलेगा? वह रोज रात को खाने के बाद सीधा सो जाती हैं। अपने प्रोजेक्ट के लिए बिचारी
पुरा दिन बहुत मेहनत करती हैं, तो उसके पास वक्त नहीं रहता।“
(मेयर इसलिए यह बोल रहे थे ताकि वह एनाबेल की तारीफ कर सके वरना तो उन्हे भी
एनाबेल के बारे में कुछ नहीं पता।)
जेमी ने कहा “वैसे भी तो वह पूरा दिन तस्वीर ही बनती है तो क्यूँ ना वह हमारी
बना ले, हम उसे उसके
काम के पैसे देंगे। बस आप एक बार उस से बात कीजिएगा।“
“ठीक है, मैं बात कर के
देखुंगा।“ मेयर ने कहा।
थॉमस वही खड़ा रह के सारी बाते सुन रहा था और वहाँ मेयर पे पास 10 मिनट रुका और
उतने में तो तीन लोग आके अपनी तस्वीर बनवाने की बात कर के गए और मेयर ने सब को एक
जैसा ही जवाब दिया। थॉमस समझ गया के एनाबेल बहुत थक जाती है इसलिए रात को चलने
नहीं आती, और उसे भी
एनाबेल को तंग नहीं करना चाहिए। इसलिए उसने अपने मन से एनाबेल से मिलने का खयाल
निकाल दिया।
आज एनाबेल जंगल की तरफ गई हुई थी, वहाँ उसने जंगल की कई सारी तस्वीरे बनाई और यहाँ की सब से अच्छी बात यह
थी के वहाँ कोई लोग नहीं थे कोई रोक टॉक नहीं थी, जंगल के
शांत माहोल में वह आराम से अपनी पेंटिंग बना सकती थी। जंगल का रास्ता भी उसके घर
के पीछे ही था तो वह घर से ज्यादा दूर भी नहीं थी। मेयर के घर के आस पास किसी का
घर नहीं था। वह समंदर किनारे था और उसके पीछे घना जंगल।
पहले दिन उस से अच्छी पेंटिंग नहीं बनी पर अब हर रोज वह अपनी कला को और निखारती
जा रही थी। यहाँ पेंटिंग बनाते समय उसे जो अनुभव हो रहा था वैसा उसे शहर में कभी
नहीं लगा। उसे ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने पूरी दुनिया को उसके लिए रोक लिया और वो
अलग अलग नजारे कागज के पन्नो पे रंगो के जरिए कैद कर लेना चाहती थी उस से पहले की
फिर से ये दुनिया चलने लगे। आज दोपहर के बाद उसने एक ही तस्वीर बनाई पर वह इतनी
सुंदर थी के उसके क्या कहने। वो खुद हैरान थी के वह इतनी बढ़िया तस्वीर भी बना सकती
हैं, उसे खुद यकीन
नहीं हो रहा था। आज एनाबेल को अपनी तस्वीरों में बहुत बड़ा फर्क नजर आ रहा था और यह
इसलिए नहीं था के वह एक बहुत सुंदर और शांत जगह पे थी पर अभी उसके सर पे कोई बोज
या तनाव नहीं था। वह खुश हो के तस्वीर बना रही थी जैसे वह अपनी माँ को हर तस्वीर
के जरिए श्र्द्धांजली दे रही हो। कई दिनों बाद उसने अपना ब्लॉग खोला और अपनी बनाई
तस्वीरे पोस्ट की।