14 दिसंबर, 2023

Heaven’s lighthouse (Episode 4) free story in Hindi

 Episode 4


थॉमस रोज की तरह अपने काम में लगा हुआ था उसने तय कर लिया था के गाँव के पास पैसे नहीं है तो वह खुद अपने पैसे से लाइटहाउस को रंग करवाएगा। उसने अब तक कुछ पैसे जमा कर रखे थे जो वह 16 साल की उम्र से जमा कर रह था। उसने यह पैसे अपना नया घर बनाने के लिए जमा किए थे। अपने पिता के कर्जे के कारण 16 की उम्र में उसने अपना इकलौता घर खो दिया था। उसकी माँ की जो कुछ यादे थी वो उसी घर में थी पर अब ना वो घर रहा और ना उसकी माँ। जब उसे और उसके पिता को घर से निकाला था उनकी बहुत बेइज्जती की गई थी तो उसका तब से सपना था के वह खुद का एक घर बनाए और अपने घर के लिए वह तब से पैसे जोड़ रहा था। कुछ साल पहले उसके पास इतने पैसे जमा हो गए थे वह एक छोटा सा घर बना सके पर तब उसके पिता की तबीयत खराब हो गई तो उनके इलाज में सारे पैसे चले गए। दो साल पहले उसे समंदर किनारे एक कीमती सोने का टुकड़ा मिला था उसे बेच के उसके पास उतने पैसे हो जाते जिस से वह एक घर खरीद सकता था पर वह हो ना सका। क्यों के तब एक महामारी के चलते उनके गाँव में सब लोग बीमार हो रहे थे और दवाई का खर्च बहुत ज्यादा था तो उसने सोचा के सायद उसे सोने का टुकड़ा उनके लोगों की मदद करने के लिए ही मिला है तो उसने सारे पैसे गाँव वालो के इलाज के लिए खर्च कर दिए। दो साल से वह दिन में भी जितना हो सके उतना काम करता था जिस से अपने घर के सपने को पूरा कर सके। आज वक एक दुविधा में था के वह बचाए हुए पैसे से अपना घर बने या लाइटहाउस को रंग करे। वह इसलिए गहरी सोच में था क्यों के अगर उसने लाइटहाउस हो रंग करवा भी दिया तो उसमें उसका कोई फायदा नहीं होगा और ना लाइटहाउस के काम में कोई फर्क पड़ेगा क्यों के अंदर की सभी चिजे तो सही सलामत थी। लाइटहाउस के साथ वाला घर हाला की अभी उसी का है पर वह उसका मालिक नहीं हैं। लाइटहाउस को रंग कर देने से उनके गाँव की शान जरूर बढ़ जाएगी, लोग जो घूमने आते थे वह लाइटहाउस के पास ही तस्वीरे खिचते और इसी के कारण उनके गाँव को एक अलग पहचान मिली हुई है जिस से लोग वहाँ आते हैं। उनका छोटा सा गाँव, जहां वैसे भी कम लोग आते थे और अब जब के लाइटहाउस बाहर से बेजान हुआ पड़ा है तो लोगों ने आना भी बंद कर दिया है। अब पूरे गाँव की आमधनी मछली पकड़ने से ही चल रही थी जिसके कारण लोगों के पास पैसे कम थे। अगर वह लाइटहाउस को रंग करवा लेता है तो उनके गाँव के हालात सायद सुधर सकते थे।

थॉमस समंदर किनारे गहरी सोच में था के उसके पास जो पैसे है वह उनका कैसे इस्तेमाल करे, जितना वह सोच रहा था उसकी उलझन उतनी बढ़ती जा रही थी। उसके अंदर अपनी और दूसरों की खुशी के बीच एक जंग चल रही थी जिसे वह चाह के भी रोक नहीं पा रह था। उसके मन के अंदर चल रही जंग तब रुकी जब उसने देखा के समंदर किनारे एक लड़की उदास सी बैठी हुई थी उसके पास रंगो से भरे बॉक्स, एक कैनवास, कई सारे ब्रश पड़े थे पर वह लड़की एकटक बस समंदर को देख रही थी। उसकी नजरे समंदर की तरफ जरूर थी पर वह अपने मन में कुछ गहरे विचारो में गौते लगा रही थी। थॉमस ने उसे वहाँ कभी नहीं देखा था तो उसे लगा के सायद कोई पेंटर है जो वहाँ तस्वीरे बनाने आई होगी। थॉमस स्वभाव से शर्मीला था तो बात करने जाने के बारे में वह सिर्फ सोच ही सकता था। थॉमस उसे बताना चाहता था के यहाँ सिर्फ एक ही जगह नहीं हैं, बहुत सी सुंदर जगह है जहां वो नई नई तस्वीरे बना सकती है और क्या पता अगर यह तस्वीरे मशहूर हो गई तो उनके गाँव में लोग फिर से आने लगे। वैसे भी लाइटहाउस के फीके रंगो को देख के किसी को वहाँ कोई तस्वीर बनाने का मन तो होता नहीं।

थॉमस कुछ देर उलझन में बैठा रहा के लड़की के पास जाए या नहीं। उसकी एक उलझन खत्म नहीं हो रही थी के दूसरी ने जगह बना ली। तभी समंदर में से मछवारों की नाव किनारे की ओर आने लगी और थॉमस उनकी मदद करने उनकी तरफ चला गया।

(रात के वक्त)

रात का समय था, अंधेरे की गौद में तारे टिमटिमाने लगे, बादलों की सवारी आसमान में छाने लगी और चाँद को ढक के अपना रुतबा बढ़ाने की पूरी तैयारी थी, पर पवन ने आज अलग दल चुना हुआ था; उसे तो आज चाँद की ओर से मुकाबला करना था। तेज हवा ने सारे बादलों को चाँद के सामने से हटा दिया और चाँदनी ने अपना दबदबा पूरे टापू पे फैला दिया। रात का वक्त यानि ये थॉमस के काम करने का वक्त था। वह हर रात और पूरी रात उनके गाँव की रखवाली करता। हर रात वो अकेला होता है और साथ में उसकी तनहाई पर आज कोई और भी था।

उसने देखा के एक लड़की समंदर किनारे आधी रात को अकेली बैठी हुई थी, सुनसान बीच पे चाँदनी रात में अकेले समंदर किनारे बैठने मैं किसी को भी डर लगे पर यह तो आराम से बैठी हुई थी, बाल बिखरे हुए थे उसने अपना सर घुटनों पर रखा हुआ था जिस से उसका चेहरा बालों से ढका हुआ था। थॉमस को यह लड़की थोड़ी अजीब लगी, पर वह उसका काम था जा के पुछे कि वह इतनी रात को यहाँ क्या कर रही है? उसे डर इसलिए लग रहा था क्यों के वहाँ लोगों ने कई कहानियाँ फैलाई हुई थी के समंदर किनारे आधी रात को चाँद की रोशनी में एक लंबे बालों वाली जलपरी समंदर किनारे अकेली बैठी पाई जाती है जो लोगों को अपने साथ खिच के समंदर में ले जाती हैं। अब तक थॉमस ने ऐसा कुछ देखा नहीं था पर क्या पता जलपरी आज उसे अपना शिकार बनाने आई हो।

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डरते हुए थॉमस लड़की के करीब गया और हिम्मत कर के और बहादुर बनते हुए कडक आवाज में पूछा “ए लड़की इस वक्त यहाँ क्या कर रही हो? एकेले रात को ऐसे बैठते हुए डर नहीं लगता?”

एनाबेल बिना सर उठाए बोली “डर लगता तो यहाँ थोड़ी बैठती, और क्या यहाँ रात को एकेले बैठना गैरकानूनी है?”

“गैरकानूनी तो नहीं है, पर मैंने आज तक किसी लड़की को रात में ऐसे बैठे हुए नहीं देखा। सारी लड़कियां डरपोक होती है पर तुम तो बहुत बहादुर हो जो अंधेरी रात में ऐसे एकेलि बैठी हुई हो।“

एनाबेल ने कहा “जब अंदर की उदासी इतनी गहरी हो के बाहर की चीजों से फर्क ना पड़े तो कैसा डर! अगर तुम्हें डर लगे तो चिंता मत करना मैं यहीं बैठी हुई हूँ।“

थॉमस एनाबेल को नहीं जानता था पर वह उसका दर्द तुरंत समझ गया क्यों के उसके अंदर भी कई दर्द भरे पड़े थे। थॉमस उस से दो कदम की दूरी पे बैठ गया। “मैं यहाँ कई सालो से काम कर करते आ रहन हूँ मुझे डर नहीं लगता। पर उदासी देख के लगता है तुमने किसी अपने को खोया हैं?”

थॉमस की बात सुन के एनाबेल दंग रह गई के पहली बार में ही इसने सही अंदाजा कैसे लगाया? पर उसने अपने चेहरे पर नहीं आने दिया एनाबेल ने पहली बार सर उठाया और पूछा “तुम्हें कैसे पता? क्या तुमने भी किसी अपने को खोया है?”

थॉमस आगे बोला “हर इंसान अपने जीवन में कई ऐसे लोगों को खो देता है जो उनके दिल के बहुत करीब होते हैं। मैंने भी कई खोए हैं; पर तुम्हारे अंदर छुपा दर्द मैं इसलिए तुरंत समझ पाया क्यों के मैंने ऐसा ही दर्द किसी और साथ भी महसूस किया हैं।“

एनाबेल ने तुरंत पूछा “किस के साथ?”

समंदर की तरफ देख के पुरानी यादे याद करते हुए थॉमस बोला “मेरे पिता के साथ। मैं दो साल का था जब उन्होने अपनी बीवी खोई और मैंने मेरी माँ। कई सालों तक उनकी मौता का जिंमेदार वो खुद को मानते रहे, शराब के नशे में अपने पैसे और घर गवाया साथ में इज्जत भी। पर एक दिन उनको एहसास हो गया के उनके दुखी होने से ना तो मेरी माँ वापसा आएगी ना उनका दुःख कम होगा। तो उनहोने फिर से वही काम करना शुरू कर दिया जो मेरी माँ के मरने से पहले वह करते थे।“

“कौनसा काम?” एनाबेल ने उत्सुकता से पूछा।

“वह एक मछवारे हैं। तो रोज सुबह सूरज निकलते ही नाव ले कर समंदर में चले जाते हैं, पूरा दिन उधर ही वक्त बिताते हैं। पहले उनको लगता था के मेरी माँ को उन्होने समंदर में खोया इसलिए वह कभी समंदर में नहीं जाएंगे पर अब वो हर रोज जाते हैं, हर मौषम में जाते हैं, हर हालात में जाते हैं। क्योंकि उन्हे पता है मेरी माँ के साथ उनकी सब से अच्छी यादे समंदर में ही बनी थी, तो अब वो हर रोज जाते है और सारी खुसियों भरी यादे दोबारा जीते है; ना कि मेरी माँ के मरने का शोक मनाते हैं। अगर तुमने भी किसी अपने को खोया है तो उनके लिए दुखी होने से अच्छा है तुम वो करो जिस से उनको खुशी मिलती थी जब वो जिंदा थे। वो चाहे कहीं भी हो तुम्हें दुखी देख के वो भी खुश नहीं होंगे, उनको और बुरा लगेगा यह जान के कि तुम्हारे दु:ख का कारण वो हैं। अब तुम पर है कि खुद दुखी हो के अपने आप को और उनको दुखी करना है या कुछ ऐसा कर करना है जिस तुम और वो दोनों खुश हो सको।“ थॉमस इतना बोला और उठ के आगे चला गया और एनाबेल उसे जाते हुए हैरानी से देखती रही।

एनाबेल को वो दिन याद आया जब वह कॉलेज जाने की तैयारी कर रही थी उसे देरी हो रही थी पर फिर भी जबर्दस्ती उसकी माँ ने उसके लिए नाश्ता बना के उसके बैग में रख दिया।

एनाबेल घर के दरवाजे पर ही थी और उसके पिताजी बाहर कार में उसका इंतजार कर रहे थे एनाबेल की माँ ने कहा “मुझे पता है तुम बहुत बड़ी पेंटर हो, पर क्या होगा जब लोगों को पता चलेगा की तुमने अपनी माँ की पेंटिंग ही नहीं बनाई।“

एनाबेल अपने जूते पहनते हुए बोली “आप जानती है मैं लोगों की तस्वीरे नहीं बनाती।“

झूठी उदासी दिखाते हुए उसकी माँ ने कहा “तो क्या मेरी भी नहीं बनाओगी?”

एनाबेल कार की तरफ जाते हुए बोली “आप सही कीमत दोगी तो सोचूँगी।“

“ठीक है तो आज शाम तुम्हें ऐसा ऑफर मिलेगा के तुम ठुकरा नहीं पाओगी।“ एनाबेल की माँ ने ज़ोर से कहा ताकि एनाबेल सुन सके और एनाबेल कार में बैठ के चली गई। यह आखरी बात थी जो उन्होने की उसके बाद उसकी माँ भगवान को प्यारी हो गई। अपनी माँ की मौत के बाद एनाबेल ने पेंटिंग बनाना बंद कर दिया, वह कोई चित्र भी बनाती तो उसमें भी उसका मन नहीं लगता।

वह यही सोचती रहती के, वह अपनी माँ की आखरी इच्छा पूरी नहीं कर सकी। इसलिए वह हर वक्त उदास रहने लगी थी पर आज थॉमस से बात कर के उसे एहसास हुआ के उसकी माँ कभी नहीं चाहती थी के एनाबेल पेंटिंग करना बंद कर दे, वो तो चाहती थी के एनाबेल बहुत बड़ी कलाकार बने और उसकी पंटिंग पूरी दुनिया में मशहूर हो। यही उसकी माँ का सपना था।


episode 3

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